शनिवार, 9 जून 2012

[1]
ऐसा नही कि सच से वाकिफ नही हूँ मैं ..
बाज़ार में मगर सच के खरीदार बहुत हैं...

[2]
 तमाम उम्र जिसे हम ख़ुदा समझते रहे ..
वक़्त आने पर वो मामूली बुत निकला ...

[3]
 सितमगर कोई और होता तो सह लेते मगर
सनम अपना ही काफ़िर निकला...

[4]
 इस समय में -
                  ईमान बचाए रखना
                  दोस्तों से गिरेबान बचाए रखना
                                                         - मुश्किल है .

कोई टिप्पणी नहीं: