मैं और तुम किसी नदी के दो किनारे
जो मिल के भी नही मिलते
जी लेते हैं एक-दुसरे को देख कर
इस एहसास के साथ की हम दोनों साथ हैं
साथ हैं बस साथ होने के लिए
अपने-अपने टूटे सपनों को आंखों में लिए
फ़िर एक नया सपना देखते हैं
टूट जाने के लिए.
मैं और तुम किसी नदी के दो किनारे
जो मिल के भी नही मिलते
जी लेते हैं एक-दुसरे को देख कर
इस एहसास के साथ की हम दोनों साथ हैं
साथ हैं बस साथ होने के लिए
अपने-अपने टूटे सपनों को आंखों में लिए
फ़िर एक नया सपना देखते हैं
टूट जाने के लिए.