क्या भारत अभी भी एक कृषि प्रधान देश है? देश में किसानो के आत्महत्या की ख़बरें आम हैं.देश में खाद्यान्न की आपूर्ति के लिए आयात तक की नौबत है .दाल,चीनी,प्याज आम आदमी की पहुच से बाहर है .
गरीब इंडिया और भारत के बीच पिस रहा है.एक तरफ भूमंडलीकरण तो दूसरी तरफ सेज (विशेष आर्थिक क्षेत्र ) दोनों के बीच किसानो के आवाज दबती जा रही है .
क्या केवल आर्थिक रूप से समृध्ह होना और विकसीत देश बनने की होड़ में शामिल होना कई बड़ी समस्याओं को जन्म नही दे रहा .महंगाई का बढ़ते चले जाना मान्य हो गया है .मध्यम वर्ग तो फिर भी किसी तरह गुजारा कर ले रहा है पर उन गरीबो का क्या जो दो वक़्त की रोटी भी बड़ी मुश्किल से जुटा पाते हैं.