गुरुवार, 29 सितंबर 2016

पडोसी को जवाब

उरी पर हुए हमले ने सभी को   झकझोर दिया था. जनता सरकार की ओर से जवाबी कार्यवाही की प्रतीक्षा में थी. यू एन में सुषमा स्वराज के भाषण ने पाकिस्तान को संतुलित शब्दों में जवाब दिया,पर उरी हमलों के जख्मों की भरपाई नही हो पायी थी. पाकिस्तान की सीमा  में घुसकर सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया. पाकिस्तान जैसे आतंकवाद को पोषित करने वाले देश के लिए यह अप्रत्याशित था. सेना ने सीमा पार के कई आतंकी ठिकानो को नष्ट कर दिया. 35 -40 के करीब आतंकियों को मार गिराया। पाकिस्तान विश्व मंच पर यह स्वीकार भी नहीं कर पा रहा कि भारतीय सेना ने उसकी सीमा में 2 किलोमीटर तक घुसकर उसके पाले हुए दहशतगर्दों को मार गिराया है. सुषमा स्वराज के सधे हुए शब्दों ने पाकिस्तान को यू एन के मंच से आईना दिखाया था. सुषमा जी ने बड़ा जायज सवाल उठाया था कि आतंकियों के न खुद के बैंक हैं ,न खुद की हथियार फैक्ट्री. फिर आखिर कौन वो लोग हैं जो आतंकियों को धन और हथियार मुहैया कराते हैं. 
                            भारत सरकार हर संभव कोशिश करती दिखी कि  पाकिस्तान के साथ उलझे रिश्तों को सुलझा लिया जाये.लेकिन पठानकोट तथा उरी  जैसे हमलों ने पाकिस्तान की मंशा को स्पष्ट कर दिया. जबकि समय-समय पर पाकिस्तान खुद भी ऐसे आतंकी हमलों का शिकार होता रहा है,वह दहशतगर्दों को प्रश्रय देना नहीं छोड़ रहा. बाचा खान यूनिवर्सटी ,पेशावर अटैक जैसे आतंकी हमलों ने भी पाकिस्तान की आँख नहीं खोली। वह बड़े-बड़े आतंकी संगठनो को प्रश्रय देना जारी रखे है. कूटनीतिक स्तर  पर भी भारत ने सार्क सम्मेलन में न जाकर बड़ी सफलता हासिल की है. अफगानिस्तान ,भूटान और बांग्लादेश ने भारत की पक्षधरता करते हुए सार्क सम्मेलन  में जाने से इंकार कर दिया ,जिस कारण पाकिस्तान में होने वाले इस सम्मेलन को रद्द करना पड़ा. 
                                                 पाकिस्तान चौतरफा हमले से बौखला गया है. अभी भारत सरकार द्वारा दिया गया 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का दर्जा भी छीने जाने की ओर है. सरकार ने दबाव बनाने में कोई कसर  नहीं छोड़ी है. आतंकवाद समर्थक राष्ट्र को बहिष्कृत किया जाना और विश्व स्तर पर आर्थिक संबंधों को कमजोर करना ,ये दोनों महत्वपूर्ण कदम विश्व स्तर पर उठाये जाने की आवश्यकता है.  

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