शनिवार, 6 नवंबर 2010

???

ओबामा जी का स्वागत है . भारत आये हैं तो कुछ सोच कर ही आये होंगे. वर्ना उनके आगे हमारी बिसात क्या है, तभी तो भारत की सुरक्षा एजेंसियों पर उनको भरोसा नही है. अमेरिका से सब तामझाम ले कर आये हैं. हम शर्मिंदा हैं की हम उनकी सुरक्षा भी नही कर सकते . चलिए कुछ तो सबक सीखना होगा इन साहेब से.अपनी सुरक्षा अपने हाथ.हमारा कुछ काम तो कम कर दिया . खैर, जबसे आने की खबर सुनी थी यही सोच रही थी की आये क्यों हैं?? जवाब हो किसी के पास तो हमे भी बता देना...खैर.मेरी समझ काम हो सकती है पर यही लगता है परमाणु  संधि पर ही  कोई अहम्  बात होगी.कोई अपने (अमेरिका)हित की बात ही होगी..

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

चेहरा

कहते हैं  चेहरा आईना होता है
पर ...
आज-कल के आइनों से संभल  कर रहना
आईने झूठ भी बोला करते हैं.

शनिवार, 13 फ़रवरी 2010

चिठ्ठियाँ

( 1 )
भारत में सबसे ज्यादा डाक घर .....
क्या चिठ्ठियाँ अभी भी लिखी जाती हैं ???



( 2 )
आज भी याद है जब  बचपन में नानी हमें  चिठ्ठी लिखा करती थीं,पढ़ के  आँखों में आंसू भर जाया  करते थे और  हम  गर्मी  की छुट्टियों का इंतजार करते थे कि कब जल्दी से दिन बीते ,पढाई ख़तम हो और हम गाँव पहुँच जाएँ .