महिला आरक्षण विधेयक पास हो या न हो लेकिन एक नई बहस का जन्म जरुर हो गया है की क्या महिलाओं को आरक्षण मिलना चाहिए ?? इस बहस की शुरुआत तभी हो गई थी जब लोक सभा अध्यक्ष के रूप में मीरा कुमार को चुना गया .हालाकि मीरा कुमार का चुना जाना हमारे लिए एक ऐतिहासिक घटना है .मीरा कुमार एक खास वर्ग से आती हैं ,ध्यान दीजियेगा ....एक खास वर्ग से... महिला आरक्षण लागू होने से क्या उन महिलाओं को भी लाभ होगा जो निचले तबके से आती हैं ...नही ..यह लाभ केवल उन लोगों को होगा जो पहले से ही मजबूत स्थिति में हैं .अतः सरकार को चाहिए की महिला आरक्षण के बजाय ...ऐसी व्यवस्था करे ताकि देश की हर महिला शिक्षित हो और आत्म-निर्भर हो सके.
अरुणा आसफ अली जो स्वयं महिलाओं की कई संस्थाए चलाती थी ,इस बात की पक्षधर थीं की महिलाओं को कार्य-क्षेत्र में आरक्षण न दिया जाए.आरक्षण देने से उनमे प्रतियोगिता की भावना नही रहेगी।
आरक्षण एक बैसाखी की तरह है और मुझे नही लगता की हमें किसी बैसाखी की जरुरत है .
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