दिख जाता है हर गली हर नुक्कड़ पर
चेहरे की बेबसी छुपाये ....
आम आदमी
कितना निरीह
जीवन के थपेड़े सहता हुआ
खुद को घसीटता
आम आदमी ...
ता-उम्र टूटता
जुड़ता हुआ .....
अदम्य जिजीविषा लिए
आम आदमी .
ता-उम्र टूटता
जुड़ता हुआ .....
अदम्य जिजीविषा लिए
आम आदमी .
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