700 करोड़ के पार्क के बजाय एक अदद बिजलीघर या कारखाना भी लगाया जा सकता था . पार्क से दलितों का भला होने से रहा .हाँ पार्क में घुमने से अभिजात्यपन महसूस किया जा सकता है . यह खुद को स्थापित करने की होड़ है या भावी पीढ़ी के प्रति अविश्वास या अपने किये गए कार्यों के प्रति संदेह ???
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