रविवार, 16 अक्तूबर 2011

700   करोड़   के    पार्क     के   बजाय  एक अदद बिजलीघर या कारखाना भी लगाया जा सकता था . पार्क  से दलितों का भला होने से  रहा .हाँ पार्क  में घुमने से  अभिजात्यपन महसूस   किया जा    सकता    है    . यह खुद को स्थापित करने  की होड़ है या   भावी     पीढ़ी   के  प्रति   अविश्वास या   अपने किये गए कार्यों   के   प्रति   संदेह ??? 

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