मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

ग़रीब

दुनिया के मजदूरों एक हो कहने वाले 
मार्क्स 
अब तनी हुई मुट्ठियाँ ढूंढते रह जायेंगे 
ये सरकार है भईया...
ये गरीबों को भी 
अब अमीर कहलावायेंगे...

सरकार ने गरीबी की परिभाषा बदल डाली है 
बत्तीस रूपये कमाने वाले की अब हर रोज दिवाली है 
गरीबों की तकदीर एक दिन इतनी बदल जाएगी 
सरकार इनका खाता स्विस बैंक में खुलवाएगी

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