पिछले दिनों पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर अफवाहों का
बाज़ार गर्म रहा . असम की हिंसा को लेकर माहौल गर्म था ही ...फिर म्यामार
की हिंसा के लिए मुंबई में हुई एक सभा उद्वेलित हो गयी . इन घटनाओं ने देश
को संवेदनशील बना दिया . देश के अलग-अलग हिस्सों में म्यामार को लेकर हुए
प्रदर्शन में हिंसा हुई . जिसने देश की शांति में खलल डालने का काम किया .
आखिर म्यामार को लेकर हमारा एक समुदाय इतना आक्रोशित क्यों है ? जबकि ठीक
इसी वक़्त पाकिस्तान से हिन्दुओं का पलायन हो रहा है . पाकिस्तान से आ
रही ख़बरें वहां के अल्पसंख्यकों के पक्ष में नही हैं. उनका पलायन जारी
है. एक तरफ म्यामार को लेकर देश में अराजकता का माहौल बन गया है . दूसरी
तरफ पूर्वोत्तर वासियों ने भयाक्रांत होकर देश के विभिन्न हिस्सों से
अपने-अपने घरों का रुख कर दिया है . यह चिंता जनक स्थिति है कि हम अपने देश
में ही सुरक्षित न हों. एक एस एम एस ने उनके मन को डरा दिया है. तमाम
आश्वासनों के बावजूद भी अगर उनके मन में भय है तो कहीं न कहीं ये कमी है
हमारी ,व्यवस्था की. हम उन्हें भरोसा नहीं दिला पाए कि वे देश के किसी भी
हिस्से में हों , सुरक्षित हैं . ये दोनों घटनाएँ आधुनिक संचार व्यवस्था की
देन हैं. सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर म्यामार को लेकर कुछ गलत सामग्री
ने तथा असम से जुड़े एस एम एस ने देश के लिए मुश्किलें पैदा कर दीं.
हमें याद रखना होगा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है . सभी को जीवनयापन
करने के समान अधिकार प्राप्त हैं. आपस में सौहार्द्र बना रहेगा तभी देश की
और हमारी तरक्की संभव है .
ऐसा नहीं कि हालात से बेखबर हूँ मैं
पर ये भी नही , तुम सब की तरह बे- सबर (सब्र) हूँ मैं
इसलिए धैर्य बनाये रखें और अफवाहों पर ध्यान न दें.
ऐसा नहीं कि हालात से बेखबर हूँ मैं
पर ये भी नही , तुम सब की तरह बे- सबर (सब्र) हूँ मैं
इसलिए धैर्य बनाये रखें और अफवाहों पर ध्यान न दें.
1 टिप्पणी:
बात तो सही है ... पर अफवाहों के अलावा समाज में सुधार की कितनी गुन्जायेश है ... उस पहलू पे सोचने की ज्यादा जरूरत है ...
एक टिप्पणी भेजें