शुक्रवार, 3 अगस्त 2012

[1]
इश्क में ये भी मंज़र अजीब हैं
जिसे क़त्ल किया उसी के शिकार हुए

[2]
     वक़्त , नाम और चेहरे बदल रहे हैं
    समय-समय पर मेरे खुदा बदल रहे हैं .

[3]

चाहत उल्फत  बेक़रारी वो करार
क्या-क्या रंग हैं इश्क के खेल में

 [4]
     बात निकली है तो फिर चल निकले
अब बेहतरी इसी में है कि कोई हल निकले

( सोनाली मुखर्जी और गुवाहाटी की घटना के लिए )

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