[1]
इश्क में ये भी मंज़र अजीब हैं
जिसे क़त्ल किया उसी के शिकार हुए
[2]
वक़्त , नाम और चेहरे बदल रहे हैं
समय-समय पर मेरे खुदा बदल रहे हैं .
[3]
चाहत उल्फत बेक़रारी वो करार
क्या-क्या रंग हैं इश्क के खेल में
[4]
बात निकली है तो फिर चल निकले
अब बेहतरी इसी में है कि कोई हल निकले
( सोनाली मुखर्जी और गुवाहाटी की घटना के लिए )
इश्क में ये भी मंज़र अजीब हैं
जिसे क़त्ल किया उसी के शिकार हुए
[2]
वक़्त , नाम और चेहरे बदल रहे हैं
समय-समय पर मेरे खुदा बदल रहे हैं .
[3]
चाहत उल्फत बेक़रारी वो करार
क्या-क्या रंग हैं इश्क के खेल में
[4]
बात निकली है तो फिर चल निकले
अब बेहतरी इसी में है कि कोई हल निकले
( सोनाली मुखर्जी और गुवाहाटी की घटना के लिए )
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