मैं मुक्तिकामी नही हूँ
न काशी से ...
न स्त्री देह से
और
न तुमसे ....
तुम्हारा आलिंगन
तुम्हारी गंध
तुम्हारे शब्द
सब बांधते हैं मुझे
मैं ...इन बन्धनों को
जीना चाहती हूँ ...
मुक्तिकामी नहीं हूँ मैं
( मेरे प्रिय कवि को समर्पित )
न काशी से ...
न स्त्री देह से
और
न तुमसे ....
तुम्हारा आलिंगन
तुम्हारी गंध
तुम्हारे शब्द
सब बांधते हैं मुझे
मैं ...इन बन्धनों को
जीना चाहती हूँ ...
मुक्तिकामी नहीं हूँ मैं
( मेरे प्रिय कवि को समर्पित )
1 टिप्पणी:
मुक्तिकामी नहीं हूँ ....
निःशब्द कर दिया ... लाजवाब ...
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