गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

संसद की गरिमा और सर्वोच्चता की बात करने वाले माननीयों को 2G के आरोपी( कनिमोझी ) को राज्य-सभा में अपने बगल में बैठाने में शर्म नही आती .....उन्हें तब भी शर्म नही आती जब उनका एक साथी ( धनञ्जय सिंह ) हत्या के आरोप में जेल भेज दिया जाये और एक पहले से ही ( सुरेश कलमाड़ी ) भ्रस्टाचार के आरोप में जेल में हो .....लेकिन जब जनता अपने हक के लिए आन्दोलन करती है और संसद पर दबाव बनाती है ....तो संसद की गरिमा इन्हें खतरे में दिखाई देती है ..... 
संसद ने साबित कर दिया है कि लोकतंत्र मे लोक को अनदेखा नही किया जा सकता ..यह अन्ना के आंदोलन का दबाव ही है कि सत्र 3 दिन बढ़ा दिया गया ...लोक सभा और राज्य सभा 12 बजे रात तक चल रही है . यह अन्ना के विरोधियों को जवाब है संसद द्वारा ....

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