शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

अखबार पढ़ते हुए नज़र अचानक एक वैवाहिक विज्ञापन पर अटक गयी .एक ४७ वर्षीय विकलांग पुरूष ने स्वयं के विवाह के लिए विज्ञापन दिया था.........आवश्यकता है-सुंदर ,सुशील वधु की परन्तु विकलांगता स्वीकार्य नही.
मन में कई अनुत्तरित प्रश्न क्रोंध गए ........

1 टिप्पणी:

डॉ महेश सिन्हा ने कहा…

यही तो आज का पौरुष है