औरत
(1)
मैंने लिखा 'औरत '
तब जान पाया कि मेरे हाथ मे
बाज़ार मे सबसे तेज़ बिकने वाला शब्द है ...
(2) मैंने लिखा 'औरत'
जो सबसे तेज़ बिकती है
तस्वीर मे हो या समय के मजबूर हाथों में....
(3)
मैने लिखा औरत
और देखा
शब्द लोहे मे ढल रहे हैं .
(4)
मैने लिखा औरत
और जाना
वह सृष्टि की सबसे सर्जनात्मक
और संघर्षपूर्ण कृति है .
(विमलेश त्रिपाठी की कविता -वह नहीं लिख पाया -पढने के बाद )
3 टिप्पणियां:
kam shabdon mein jaadugari.....bahut badhia...
पहली बार आपके ब्लॉग पर आया , और कविताओ पर मुग्ध हो गया , फिर कभी जरुर आऊंगा और सारी नज्मो को पढूंगा
आभार
धन्यवाद् मित्रों ...आपकी सराहना मेरा हौसला बढ़ाएगी और आपकी आलोचना( समीक्षा ) मेरे विचार(कविताओं ) की
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