सहजै रहिबा
शुक्रवार, 27 मई 2011
उपजाऊ जमीन के बदले विकास नही चाहिए
अन्नदाता के बदले करदाता नही चाहिए
बखार के बदले माल नही चाहिए (भट्टा पारसौल, सिंगुर,नंदीग्राम के सन्दर्भ में )
1 टिप्पणी:
mark rai
ने कहा…
ye vikaash hai kahan...shayad vinaash hi hai.........
1 जुलाई 2011 को 3:53 am बजे
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1 टिप्पणी:
ye vikaash hai kahan...shayad vinaash hi hai.........
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