सहजै रहिबा

शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011

गुमनामियां भी कितना सुकून देती हैं कभी-कभी ...
प्रस्तुतकर्ता kshama पर 10:31 am कोई टिप्पणी नहीं:
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